राजीब दीक्षित जी बर्तमान भारत के सच्चे–पक्के क्रांतिकारी थे।राजीब जी को जब हमने पहलीवार सुना तो उनकी बातों ने मन को झकझोर दिया। हमें एहसास हुआ कि हम गुलामी की जंजीरों व बौद्धिक गुलामी के किस कदर आदी हो गए हैं। उनकी बातों ने मन में आजदी की एक नई रोशनी जगाकर हमें नया मार्ग दिखाया। हमने इससे पहले भी स्वादेशी की बहुत बातें सुनी थी लेकिन वो बातें कुछ उपभोग की बस्तुओं से आगे नहीं बढ़ पाती थीं। ऐसा नहीं कि उन बातों के कोई उपयोग नहीं लेकिन राजीव दीक्षित जी ने हमें स्वादेशी का विराट स्वारूप दिखाकर सच्ची आजादी का अर्थ समझा दिया।
हम अक्सर ये सोच-सोच कर दुखी रहते थे कि आज भारत के कानून क्यों भारत के आम आदमी के विरूद्ध अत्याचार को बढ़ाबा देकर अत्याचारियों ,आतंकवादिय़ों, व्याभिचारिचों व भ्रष्टाचारियों की रक्षा करते हुए प्रतीत होते हैं? जब राजीव दीक्षित जी ने हमें बताया कि बर्तमान भारत में लागू अधिकतर कानून विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा बनाए हुए हैं तो हमें ये बात समझ में आयी कि जब ये कानून ही भारत के नहीं तो फिर भारतीयों की रक्षा भला ये क्यों करेंगे?
हमने महसूस किया कि भारत का संविधान भी भारतीयों के बजाए विदेशियों के हित साधता हुआ प्रतीत होता है जब राजीव दीक्षित जी ने बताया कि भारत का संविधान युरोपियन देशों के संविधानों की पंक्तियां उठाकर लिखा गया मतलब विना किसी मौलिक चिन्तन-मन्थन के विभिन्न ईसाई देशों की नकल कर ये अपंग संविधान तैयार किया गया जो आज अपने भारत के क्रांतिकारियों की तो दूर आम आदमी तक के अधिकारों की रक्षा करने के बजाए विदेशियों के हित साधने का हथियार बना हुआ है।
राजीव दीक्षित जी ने बताया कि स्वादेशी का अपने जीबन में उपयोग ही एकमात्र ऐसा रास्ता है जो भारत को विश्वगुरू बनाने के साथ-साथ भारत के नौजवानों में वेरोजगारी की समस्या का पूर्ण समाधान कर उनमें आशा की किरण जलाने में सक्ष्म है।
कुल मिलाकर राजीव दीक्षित जी ने भारतीयों को बौद्धिक गुलामी से आजाद होकर पूर्ण स्वतन्त्रता से आत्मस्वाभिमान व आत्मनिर्भरता का जीवन जीने का मार्ग दिखाया।
राजीव दीक्षित जी ने अपनी जिन्दगी का हर क्षण देश के लिए जीकर हम सब भारतीयों को वलिदान का सबसे बढ़ा मार्ग दिखाया।
आओ वर्तमान भारत के इस महान क्रांतिकारी को श्रद्धांजली देने के लिए अपने जीवन को पूर्ण रूप से भारतीयता के रंग में रखने का संकल्प करें।
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सुनील दत्त
लोग कहते हैं, युनान मिश्र रोमा सब मिट गए, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।
पर यह भी सत्य है कि उस कौम का इतिहास नहीं होता ,जिसको मिटने का एहसास नहीं होता,
मिलजुलकर एकजुट होकर कदम उठाओ ऐ हिन्दूओ,बरना तुम्महारी दासतां तक न होगी दासतानों में।।
4 Comments
rajiv ji ki bat adhik logo tak phuchane ki jarurat he
धन्य है वो माँ जिसने ऐसे क्रांतिवीर को जन्म दिया, और अब हमारा फर्ज है उस महान सपूत के अधूरे कामो को मंझिल तक ले जाना, हमने तो उसी दिन कसम खा ली थी की आज के बाद अपने देश का सामान बरतेंगे विदेशी सामान नहीं, और दूसरा अपने साथ साथ लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे, वो चाहे ब्लॉग के माध्यम से हो या किसी आमने सामने जैसे माध्यम से वैसे आपके ब्लॉग का अनुसरण कर रहा हूँ और जायदा से जयादा लोगों को आमंत्रित करूँगा प्यार और स्नेह बनाए रखियेगा
मेरे ब्लॉग के साथ
http://www.krantikarideshsevak.blogspot.com
संजय राणा
वहाँ स्वर्ग में होगा उत्सव
है यहां धरा पर शोक
यह बुझा हुआ दीपक भी देगा
युग युग तक आलोक
विनम्र श्रद्धांजलि !
बिना स्वदेशी के भारत का कल्याण नहीं हो सकता। स्वदेशी भाषा, स्वदेशी चिन्तन, स्वदेशी खान-पान, रीति-नीति, पेड़-पौधे, वस्त्र-आभूषण को बढ़ावा दें। भारत को अपने पैरों पर खड़ा होकर दौड़ने दें। नकल से परहेज करें।